आरबीआई ने इंडिया का much awaited प्रोजेक्ट यानी सीबीडीसी से related which is central bank digital currency recently launch कर दिया है जैसा कि आप यहाँ पर मेरे background में देख सकते हो बहुत सारे न्यूज़ papers ने ये न्यूज़ जो है वो कवर करी है recently as you can see here इंडियन एक्सप्रेस का ये कटिंग है और ये आज का ही न्यूज़ है जो मैं आपको यहाँ पर शो कर रही हूँ this is इंडियन एक्सप्रेस of दिसंबर one twenty twenty two की इंडिया का digital rupee pilot project जो है वो launch हो चूका है इसके बारे में हम सब जानेंगे उससे पहले आप ये सारे न्यूज़ पेपर कटिंग्स देख सकते हो जो जो सब के सब सीबीडीसी यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल currency के बारे में बात कर रहे हैं इसका जो शुरुआत हुई ये मैं आपको बता बता दूँ वो बजट twenty twenty two से हुई थी जहाँ पर हमारी honourable फाइनेंस मिनिस्टर अह निर्मला सीतारमन जी ने इसके बारे में बोला था कि ये हम launch करने वाले हैं जो अभी recently execute हुआ इससे पहले भी नवंबर में इसी ,
से related एक न्यूज़ थी which was which was what कि सेंट्रल बैंक ने जो है wholesale सीबीडीसी शुरू किया है एक पायलट की तरह। राइट? और अभी जो रिसेंटली है होलसेल का मतलब है कि कुछ चुनिंदा बैंक ही इसको use कर सकते थे। ये नवंबर का न्यूज़ है जैसा कि आप देख सकते हो और उसके बाद अभी दिसंबर वन से ये हमारा रिटेल के लिए भी शुरू हो गया है। अभी हालाँकि ये एक पायलट प्रोजेक्ट है यानी कुछ चुनिंदा बैंक या फिर कुछ या फिर आप बोल सकते हो कुछ चुनिंदा जगहों पर there are four cities जिसको basically select किया गया है which is न्यू दिल्ली मुंबई, बैंगलोर और भुवनेश्वर जिसको जिस पर इस पर्टिकुलर प्रोजेक्ट को टेस्ट किया जाएगा और आगे देखा किस तरीके से ये आगे काम करता है आज के पूरे लेक्चर में हम क्या-क्या चीजें देखने वाले हैं, आप यहाँ पर देख सकते हैं। सबसे पहले हम समझेंगे कि ये exactly न्यूज़ में क्या था which is pretty much we have already seen कि ये न्यूज़ में क्यों है? उसके बाद हम समझेंगे सबसे important सवाल कि सीबीडीसी, सेंट्रल सेंट्रल बैंक डिजिटल,
currency actually है क्या? इसका मतलब क्या है? उसके बाद हम देखेंगे कि ये यूपीआई जो हम आम तौर पर रोज use करते हैं अपनी लाइफ में यूपीआई, एनईएफटी और आरटीजीएस से कैसे अलग है? साथ ही साथ हम जानेंगे कि ये crypto currency है क्या? या फिर ये crypto currency से कैसे differ है? Different है। अगर ये differ करती है तो तो ये cryptocurrency को इससे relate करके हम समझने की कोशिश करेंगे। उसके बाद हम देखेंगे इसकी जरूरत ही हमें क्यों पड़ी? और इसके क्या advantages हैं? ये किस तरीके से हमें helpful रहेगा। राइट? उसके बाद कुछ challenges भी देखेंगे कि कुछ क्या-क्या challenges हैं, इसको implement करने में जो आएंगे या फिर implement करने के बाद जो challenges हमारा देश जो है वो face कर सकता है और फिर बाद में at the end, आपको एक ग्लोबल सेनारियो के साथ भी अपने देश का एक comparison करके दिखाना चाहती हूँ तो वो एक एंगल भी हम आज के लेक्चर में देखने वाले हैं I hope ये पूरा जो टॉपिक है ये बहुत ही इंटरेस्टिंग आपके लिए होगा, तो आज का टॉपिक शुरू करने से पहले मैं थोड़ा सा आपको हिस्ट्री में ले के जाना चाहती हूँ जहाँ पर मैं आपको बताऊंगी कि हमारे,
जो ऑनरेबल प्राइम मिनिस्टर हैं उनका जो एक सपना है कि डिजिटल इंडिया बनाना है जिसमें एक सबसे महत्व, सबसे इंपॉर्टेंट सेक्टर है ये करेंसीस वाला इसको हमने डिजिटली या डिजिटल अह अह डिजिटली हमने करना है ये basically काफी पहले से ही शुरू हो गया था राइट हालांकि दो हजार चौदह के बाद बहुत सारे इसमें बहुत सारी चीजों ने इसमें बहुत तेजी से तरक्की करी है बट ये चीजें जो है वो शुरू हो गई थी उन्नीस सौ नब्बे में ही जब हमने इलेक्ट्रॉनिक इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विसेज लॉन्च किया था उसके बाद दो हजार चार में हमने आरटी जीएस व्हिच इज रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट हमने लॉन्च किया था उसके बाद हम एनी एफ टी के कांसेप्ट के साथ आए थे व्हिच वास नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर अगेन कब आए थे दो हजार पांच में दो हजार दस में हम आईएमपीएस इमीडिएट पेमेंट सर्विसेज के साथ आए। दो हजार ग्यारह में हम सीटीएस यानी चेक ट्रांसेशन सिस्टम के साथ आए। फिर हम एनएसीएच यानी नेशनल ऑटोमेटिक क्लीयरिंग हाउस के साथ और ये तो आपको ,
पता ही है कितना इंपॉर्टेंट और कितना फेमस और कितनी स्पीड से इस टेक्नोलॉजी ने हमारे यहाँ पर इंप्रूव किया है यूपीआई आप सभी को पता है जिसके अलग-अलग प्लेटफार्म हम रोजमर्रा की जिंदगी में यूज करते हैं जैसे फोन पे पेटीएम गूगल पे राइट और फाइनली जो है हम अभी आ गए हैं ट्वेंटी ट्वेंटी टू में जो बजट में प्रपोज हुआ था और अभी हमने इसको इंप्लीमेंट कर दिया है वो जो बीडीसी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या ई रूपी भी हम जिसको बोल रहे हैं, राइट? चलिए, अब बात कर लेते हैं, इसके मतलब की, कि जी ये होता क्या है? ई रूपी आप बोल रहे हो, सीबीडीसी आप बोल रहे हो, ये है क्या? देखिए, ये एक तरीके का डिजिटल टोकन है, जिसको जो basically एक legal टेंडर को represent करता है, या फिर आप बोल सकते हो, ये क़ानूनी रूप से मान्य है, क़ानूनी रूप से ये वैद्य है। राइट? इसको हम इसको हम अगर मैं एक simple.
भाषा में बताऊँ तो आप हो कि कैश का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है कैश का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म है ठीक है अब इसके बारे में कुछ और डिटेल में चीजें देख लेते हैं कि ये जो डिजिटल रुपी है ये सेम डिनोमिनेशन में इशू होगा जिस तरीके से कैश के nominations होते हैं मतलब पाँच सौ हजार ऐसे जो denominations होते हैं उसी तरीके से इसको भी रिलीज़ इसको भी रिलीज़ किया जाएगा अब दूसरा सवाल आता है कि ये काम कैसे करेगा तो सबसे पहले तो इसके जो जिसको रिस्पांसिबिलिटी दी गई है जिन बैंक्स को प्रोजेक्ट के तौर पर वो बैंक्स है एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक और आईडीएफसी बैंक को इसके लिए जिम्मेदारी दी गई है और cities का नाम मैं आपको already बता चुकी हूँ जहाँ पर हम एक पायलट प्रोजेक्ट की तरह तरह इसको टेस्ट करने वाले हैं which is Mumbai, Delhi, Bangalore and Bhubaneswar we have already discussed it.
ये एक basically इसमें जो transactions होंगे ये digital rupee के फॉर्म में होंगे। मतलब person to person भी हो सकते हैं या फिर person to merchant. मतलब हम अगर किसी शॉपकीपर से कुछ खरीदते हैं, तो वहाँ भी हम इसके through पेमेंट कर सकते हैं, ठीक है? ओके, अब हम कुछ जान लेते हैं, एक, एक, एक बहुत important सवाल क्योंकि अक्सर बच्चों के दिमाग में यही आता है कि ये भी digital currency है। और यूपीआई और ये सब जो हम कर रहे हैं, ये भी डिजिटल है। तो इन दोनों में difference क्या है? देखिए इसमें बहुत बड़ा difference है। सबसे बड़ा difference तो ये है कि जो यूपीआई है is backed by visital currency.
इसका मतलब क्या है कि मान लो देखो यूपीआई से या फिर फोन पे से आप कब पेमेंट कर पाते हो? जब अपने बैंक अकाउंट में physical मनी जो है वो जमा करवाते हो आप जमा करवाते हो कुछ रुपए physical money तभी आपके बैंक में वो शो करता है कि इतना balance है और आप यूपीआई क्यूआर कोड स्कैन करके आप pay करते हो ई rupee के साथ ऐसा कुछ नहीं होने वाला है it is not necessarily be backed buses physical currency this is one major difference दूसरा मेजर difference जो है कि ये जो यूपीआई और ये सब जो ऊपर technologies और जितने भी methods लिखे हुए हैं ये basically एक-एक mediator बैंक द्वारा हैंडल किए जाते हैं ई रुपी के केस में ऐसा कुछ नहीं होगा तो ये जो मेडिएशन है बैंकों की जैसे for example जितने भी कमर्शियल बैंक है एचडीएफसी, आईसीआईसीआई जितने भी बैंक्स हैं इनका mediation कुछ नहीं होगा ये सीधा-सीधा आरबीआई द्वारा हैंडल किया जाएगा which is it will be directly handled by और it will be operated buses and कंट्रोल्ड buses completely the central bank of our country आरबीआई राइट? तो इन दोनों में ये जो मेजर डिफरेंस है I hope it is क्लियर to you.
अब अगला सवाल कि क्या ये क्रिप्टो करंट से सिमिलर है या crypto currency से अगर ये differ करता है तो किन aspects में ये crypto currency से अलग है। सबसे पहला और सबसे important difference जो है वो ये है कि digital currency जो है digital currency जो हम सीबीडीसी की बात कर रहे हैं ई रुपी की बात कर रहे हैं उसको आरबीआई कंट्रोल करता है। हम सबको पता है कि crypto currency जो है उसको कोई regulate नहीं करता है। ना कोई बैंक उसको regulate कर रहा है ना ना किसी भी देश की सरकार उसको regulate कर रही है। where in अगर हम crypto currency की इसकी CBDC की बात करते हैं तो उसको central बैंक जो है हमारे देश का कंट्रोल कर रहा है and this is the major difference if we talk about the regulations between both of them this is the major difference you will find between these two these two currencies राइट? उसके बाद ये जो digital currency है ये बहुत सारे देशों ने ऐसा नहीं है कि इंडिया ने ही पहली बार शुरू करी है। बहुत सारे ऐसे देश हैं जिन्होंने already digital currency का concept शुरू कर दिया है और ये globally acceptable है। ऐसा नहीं है कि आप digital currency को बाहर ले के जाओगे, कहीं फौरन भी ट्रेवल कर रहे हो, वो आपको accept करने से नहीं मना कर सकते, ये हर जगह acceptable है। where in आपको पता है cryptocurrency तो हमारे ही देश में acceptable नहीं है। banks उसको नहीं promote कर रहे हैं। कोई भी अह किसी की कहीं भी आप जाते हो,
payments cryptocurrency के through नहीं होती है, हमारे यहाँ पर तो ये तो ऐसी technology है, जो यहीं पर हमारे यहाँ पर acceptable नहीं है। where in this is acceptable everywhere, even at global level, also this is more स्टेबल, स्टेबल ये ज्यादा है, क्यों क्योंकि इसको एक authority जो है वो कंट्रोल कर रही है। अगर आप सभी को पता है cryptocurrency में कोई कंट्रोल नहीं करता है। उसके prices एकदम शूट अप कर जाते हैं, गिर भी जाते हैं। मैंने already आपको एक cryptocurrency exchange किस तरीके से crash हुआ, किस तरीके से वो अह एकदम जमीन पे गिरा, उसकी स्टोरी पहले ही कुछ lectures पहले कुछ lectures कुछ दिनों पहले मैंने आपको वो स्टोरी जो है वो शेयर करी थी, क्यों ऐसा होता है? क्यों ये इतनी volatile है, ये volatile इसलिए है because there is no कंट्रोल, there is no कंट्रोल कोई सेंट्रल अथॉरिटी नहीं है जो पूरी चीजों को कंट्रोल कर रहा है ये पूरा खुला है जिसका जो मन है वहाँ पर चीजें हो रही हैं अगला डिफरेंस जान लेते हैं कि यहाँ पर जो ट्रांजैक्शन है आर ओन्ली नॉन टू सेंडर रिसीवर और बैंक और यहाँ पर ये पब्लिकली अवेलेबल होता है राइट अगला डिफरेंस नेक्स्ट डिफरेंस इट नीड अ स्ट्रोंग पासवर्ड टू प्रोटेक्ट द डिजिटल वॉलेट राइट यहाँ पर ये के थ्रू सिक्योर होता है राइट hope ये differences अब clear हैं। अब इसकी जरूरत हमें क्यों पड़ी? और अगर हम ये ले आए हैं तो अब इसके फायदे क्या हैं? सबसे पहला फायदा और सबसे मेजर फायदा ये है कि जी जो ऑपरेशन कॉस्ट आती थी ना पहले ऑपरेशन ,
कॉस्ट आती थी physical कैश को maintain करने में, transfer करने में ठीक है एक बैंक से दूसरे बैंक का जब ट्रांसफर होता था या फिर पूरा जो maintenance कॉस्ट आता था वो कहीं ना कहीं ई रुपी की आने की वजह से काफी हद तक कम हो जाएगा। उसके बाद हमें पता है financial inclusion इससे बढ़ेगा, ये भी हमारी सरकार का एक सबसे महत्व और सबसे मुद्दा है कि हमें financial inclusion अपने देश में लाना है यानी हर एक हर एक इंसान तक हर एक पर्सन तक हर एक व्यक्ति तक अपना बैंकिंग का बैंकिंग की फैसिलिटीज बैंकिंग की सुविधाएं हमें पहुंचानी है उसके बाद मतलब अगर किसी भी तरीके का हमारी इकॉनमी में कोई भी सेट बैक आ जाता है तो वहां भी कहीं ना कहीं रिकवरी में ये ई-मनी जो है वो हेल्प करने वाला है उसके बाद डेफिनेटली अगर हम कुछ ऐसे नए तरीके ले के आते हैं तो वो इनोवेशंस में भी हेल्प हमारी यहां पर वाले हैं और सबसे major और सबसे important वाला आप सभी को पता है जब cryptocurrency आया था या फिर आप बोल सकते हो cryptocurrency में बहुत सारी चीजें हैं क्या-क्या चीजें हैं money laundering के वहाँ पर cases होते हैं हमने अक्सर बहुत सारी reports और बहुत सारे stats पड़े हैं जहाँ पर हमने देखा है कि money laundering को वो promote करता है को वो promote करता है इन सब चीजों को promote करता है तो अगर ई-मनी कोई आता है और वो भी अगर हमारा central बैंक उसको ले के आ रहा है मतलब एक इतनी important authority उसको ले के आ रही है तो कहीं ना कहीं ये सब चीजें भी हम curb कर money laundering to curtail terror financing e money is going to be really helpful for us और अब एक एक इंटरनेशनल एंगल में आपको इससे जुड़ा हुआ बताना चाहती हूँ .
देखिए अ दो देश आप बोल सकते हो डेवलप्ड देश यूएस और चाइना इन दोनों के बीच में डिजिटल करेंसी को ले के एक प्रॉक्ससी वॉर चलता रहता है तो इंडिया ने अपना डिजिटल करेंसी ले के आया इंडिया ठीक है इसका हमें ही फायदा होने वाला है कि इन दोनों कंट्रीज बीच में जो प्रॉक्सी वॉर चल रहा है इससे हमें कोई इम्पैक्ट नहीं अब पहुंचेगा या फिर हम उस इम्पैक्ट को minimize कर सकते हैं क्योंकि अब हमारे पास अपनी खुद की एक डिजिटल करेंसी है उन दोनों में अगर वॉर चल रहा है तो वो चलता रहेगा जैसे भी वो सॉर्ट आउट करें हमें अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी पर ध्यान देना है। हमें अपनी financial stability को बचा के रखना है। तो कल को अगर कुछ भी इन दोनों देशों के बीच में हुआ उसकी वजह से हमारे ऊपर नहीं इम्पैक्ट पड़ना चाहिए तो ये एक ग्लोबल एंगल है जो मैं आप सभी को बताना यहाँ पर चाहती थी राइट? और इस और चीज है जो again बहुत important है इससे हमारा डॉलर पर dependence भी जो है कम हो जाएगा आप सभी को पता होगा कि इंटरनेशनल वर्ल्ड में there are no परमानेंट फ्रेंड्स there are no permanent enemies there are only and only permanent interest तो कल को अगर मान लो चाइना सुपर पावर बन जाता है उनकी currency बहुत ज्यादा strong हो जाती है तो हमें भी कहीं,
ना कहीं हमें भी वो basically हमारे लिए वो बहुत ज्यादा अच्छी बात नहीं होगी तो किसी भी फॉरेन करेंसी पर हमें dependent नहीं रहना चाहिए वो डॉलर है चाहे वो अगर चाइना बन जाती है उनका करेंसी हो जाता है या कोई भी देश for that matter हमें basically अपनी स्टेबिलिटी पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए ना कि अपनी डिपेंडेंसी दूसरों के ऊपर रखनी चाहिए और ये उसी लाइन में एक बहुत बड़ा कदम है कि हमने अपनी खुद की एक डिजिटल करेंसी लॉन्च कर रही कर चुके हैं हम और उसको हम टेस्ट भी कर रहे हैं एक पायलट प्रोजेक्ट की तरह राइट अब देख लेते हैं कुछ चैलेंजेस देखिए जभी भी हम इंटरनेट की बात करते हैं कुछ अह कुछ अह की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में जो सबसे बड़ा challenge है या फिर हमारे you know उस technology को जब हम पूरा करने की कोशिश करते हैं जो सबसे बड़ा challenge आता है that is privacy privacy या फिर data breach के issues बहुत सारे आएँगे आते हैं आए भी already हैं जब हमने बहुत सारी दूसरी technologies अ को implement करने की कोशिश करी है the same will be with CBDC जब हम इसको implement करेंगे right तो इन सब चीजों से हमें definitely deal करना है also हमें एक जरूरत है, एक रेगुलेटरी architecture की जरूरत है क्योंकि,
हम नई चीजें ला रहे हैं। तो नई चीजों में नए problems भी आएंगे तो उन सबको करने के लिए we need to bring up, we need to come up with some with some regulatory architecture kind of solutions, right? अब मैं बात कर लेती हूँ जो मैंने आपको बताया था शुरू में ओके तो दिस इज ऑल्सो ये जो मैं yellow में mark कर रही हूँ these are the countries ये जो मैं yellow में mark कर रही हूँ these are the countries मैं एक global scenario आपको दिखा देती हूँ तो yellow में जो मैंने mark करा है ये वो countries है जिन्होंने pilot pilot pilot project की तरह इसको launch कर दिया है इसमें हमारा देश आता है चाइना आता है ठीक है जी और यहाँ पर आप देख सकते हो यहाँ पर आप देख सकते हो Canada और ये सब पार्ट आते है right अगर आप green में ये वाला ये वाला देखो just a सेकंड yeah अगर हम green की बात करें मतलब इस area की which is united states ठीक है साउथ अमेरिका में भी कुछ reason है अफ्रीका में भी कुछ reason है तो ये वाले जो है रिसर्च चल रही है हालांकि बहुत स्पीड में चल रही है और आई एम श्योर ये भी अपना इन्फैक्ट यूएस ने तो शायद कर भी दिया है तो ये ग्लोबल मैं आपको दिखाना चाहती थी कि ऐसा नहीं है कि,
ये सिर्फ हमारे ही यहाँ पर हुआ है ग्लोबली भी इसका जो है काफी ज्यादा काफी ज्यादा लोग इसको इम्प्लीमेंट करने की इसको लॉन्च करने का ऑलरेडी प्लान कर रहे हैं तो हमारे लिए भी ये बहुत जरूरी हो जाता है कि हम भी अपनी एक फाइनेंसियल स्टेबिलिटी को मेंटेन करने के लिए या फिर अपनी एक ग्लोबल बढ़ाने के लिए अगर सारी जगह ऐसा हो रहा है तो हम भी अपना एक तो उससे बेहतर तो वैसे भी कुछ नहीं हो सकता अगर इससे related एक बहुत न्यूज़ में एक देश भी रहा था अगर आपको पता हो एक साउथ अमेरिकन सॉरी सेंट्रल अह अमेरिकन कंट्री है जैसा कि आप यहाँ पर देख सकते हो current but it is still important अलाउ किया था या फिर ऑफिशियल करेंसी अपनी बनाई थी तो इसीलिए काफी न्यूज़ में रहा था अभी भी ये इम्पोर्टेन्ट है सो आई होप ये जो पूरा मैंने आपको एनालिसिस दिया है ये आपके लिए काफी हेल्पफुल रहा होगा और काफी इंफॉर्मेटिव आपके लिए रहा होगा आपको ये पूरा कांसेप्ट जितने भी मतलब से ले के चैलेंजेस तक सब कुछ आपको क्लियर हो गया होगा आज के लिए इतना ही कल मैं फिर से कुछ बर्निंग इश्यूज के साथ थैंक यू सो मच.